विधानसभा का विशेष सत्र नहीं, मॉनसून सत्र के बचे हुए एक दिन की कार्रवाही

रांची। विधानसभा का विशेष सत्र नहीं, मॉनसून सत्र के बचे हुए एक दिन की कार्रवाही !

एक दिन की कार्रवाही का एजेंडा- मुख्यमंत्री हांसिल करेंगे विश्वासमत

रांची। झारखंड विधानसभा के एक दिन के बचे हुए मॉनसूत्र सत्र पांच सितंबर को आहूत किया गया है। राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि यह विशेष सत्र है, लेकिन विधानसभा से जो पत्र जारी किया गया है, वह मॉनसून सत्र के दौरान एक दिन का बचा हुआ सत्र है। विधानसभा से जारी सूचना के अनुसार एक ही एजेंडा इस कार्रवाही के लिए रखा गया है, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विश्वास मत प्राप्त करने की है।

इधर जहां यूपीए के सभी विधायकों को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एकजुट करने में सफलता हांसिल की है। सभी विधायक रायपुर से रांची पहुंचने के बाद एक साथ रांची के सर्किट हाउस में ही रहे हैं. सभी यूपीए के विधायक बसों पर विधानसभा एक साथ पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी एक साथ बस पर सवार होकर जाएंगे।

इधर बीजेपी विधायक दल की बैठक में बीजेपी के विधायकों ने कहा कि विश्वासमत तो किसी ने मांगा नहीं है। बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर कहा है कि बीजेपी के तरफ से खनन मामले में सिर्फ मुख्यमंत्री पर कानून सम्मत कार्रवाई की मांग थी। अब हेमंत सोरेन को अपने ही विधायकों पर विश्वास नहीं है। तो वे विश्वास मत एक बार फिर हांसिल करने की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। विपक्षी पार्टी ने कभी अविश्वास प्रस्तान नहीं लाया है।

हेमंत क्यों चाहते हैं विश्वासमत

 

जानकारी के अनुसार हेमंत सोरेन इसलिए विश्वास मत हांसिल करना चाह रहे है, क्योंकि संविधान में इस तरह के प्रावधान हैं कि एक बारर विश्सावस मत हांसिल किए जाने के बाद छह माह तक दोबारा विश्वास मत हांसिल करने की जरुरत नहीं पड़ती है। अगर चुनाव आयोग में जांच के बाद मुख्यमंत्री पर राजभवन की ओर से कार्रवाई की जाती है तो मुख्यमंत्री  हेमंकत सोरेन के बाद कई विकल्प होंगे। इसमें वे खुद या किसी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए दावा पेश कर सकते हैं। इसमें इसका जिक्र किया जा सकता है कि राज्य में यूपीए के पास बहुमत है और सिर्फ नेता को बदला जा रहा है।