झारखंड में पहली बार मेडिकल कॉन्फ्रेंस में सी एम ई क्रेडिट आवर्स देने की पहल

झारखंड राज्य में पहली बार मेडिकल कॉन्फ्रेंस में सी एम ई क्रेडिट आवर्स देने की पहल

31 मार्च से 2 अप्रैल तक हजारीबाग में आयोजित होने वाली झारखंड नेत्र सोसायटी की वार्षिक कांफ्रेंस के लिए सी एम ई क्रेडिट आवर के अलॉटमेंट का पत्र अपर मुख्य सचिव अरुण सिंह एवम झारखंड मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉक्टर विमलेश सिंह ने चेयरपर्सन साइंटिफिक कमेटी झारखंड आप्थाल्मालॉजिकल सोसायटी डॉ भारती कश्यप को सौंपा ।
इसके साथ ही 20 वर्षों में पहली बार झारखंड में आयोजित होने वाली सभी स्पेशियालिटीज की मेडिकल कांफ्रेंस के लिए सीएमई क्रेडिट आवर्स की उपलब्धता की शुरुआत हुई

डॉ भारती कश्यप ने बताया कि सी एम ई क्रेडिट आवर्स डॉक्टरों की डायग्नोस्टिक ,मेडिकल ट्रीटमेंट और सर्जिकल ट्रीटमेंट की लगातार गुणवत्ता वृद्धि को प्रमाणित करने का मापक है।अगर डॉक्टर के पास सीएम क्रेडिट आवर्स है तो इसका मतलब है डॉक्टर अपनी डायग्नोस्टिक ,सर्जिकल और मेडिकल ट्रीटमेंट में लगातार अपनी गुणवत्ता बनाए रख रहे हैं और मरीज के रोग की पहचान और इलाज की नवीनतम तकनीकी ज्ञान से परिचित हैं ।

नेशनल मेडिकल काउंसिल ने 65 वर्ष से कम उम्र के डॉक्टरो के लिए 5 वर्षों में डॉक्टरो के रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण के लिए 30 सी एम ई क्रेडिट आवर की बाध्यता बनाई है। एक कॉन्फ्रेंस अगर एक दिन में 8 घंटे की होती है तो इसमें दो सी एम ई क्रेडिट आवर मिलते हैं
अगर 3 दिन की कॉन्फ्रेंस 8 घंटे की होती है तो एक कांफ्रेंस में 6 क्रेडिट आवर मिल जाते हैं इस तरह अगर डॉक्टर साल में एक या दो कांफ्रेंस में भी भाग लेते हैं तो आसानी से उन्हें साल भर में 6 क्रेडिट पावर मिल जाते हैं। 5 वर्षों में 30 क्रेडिट आवर की जरूरत होती है
गौरतलब है कि नेशनल मेडिकल काउंसिल ने डॉक्टर के रजिस्ट्रेशन के रिन्यूअल के लिए 5 वर्षों में 30 सी एम ई क्रेडिट आवर की अनिवार्यता को लागू किया है मगर झारखंड में यह अभी अनिवार्य नहीं किया गया है

एन एम सी के बनाए गए सीएमई क्रेडिट आवर्स में कुछ संशोधन की भी जरूरत है एक राज्य में अर्जित किया गया सीएमई क्रेडिट आवर्स दूसरे राज्य में मान्य नहीं होते हैं
ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के बाद सीएमई क्रेडिट आवर नहीं मिलते।

सीएम क्रेडिट आवर की रजिस्ट्रेशन के लाइसेंस के नवीनीकरण में जरूरत पड़ती है और सरकारी नौकरी में भी, मगर हर राज्य में अलग-अलग घंटे का प्रावधान है। इस मौके पर झारखंड मेडिकल काउंसिल के प्रेसिडेंट डॉ शब्बीर पाल,कोषाध्यक्ष डॉ प्रदीप सिंह, चेयरमैन एकेडमी कमेटी डॉक्टर विद्यापति भी मौजूद रहे ।