रांची। करोना के बीच आसमान में अद्भूत नजारा, सोशल मीडिया पर चर्चा तेज

सूरज पर चमकीला रिंग ने सभी को चौकाया

रांची। कोरोना की महामारी के बीच जहां राज्य में लॉकडाउन है वैसे में जब आसमान में कुछ अद्भूत नजारा देखने को मिले तो चर्चा स्वतः होने लगती है। सोमवार को दिन के 11 बजे जब लोगों ने आसमान की ओर आंखे उठाकर कोरोना से निजात दिलाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे, तभी सूरज के चारो ओर एक चमकीला रिंग दिखाई पड़ा। अब क्या था, एक से दूसरे तक सोशल मीडिया पर इस सूरज और रिंग के फोटो शेयर होने लगे। लोग अपने घरों के बार निकल गए और मोबाइल से फोटो और वीडियो बनाने लगे। साथ ही साथ लोग अपने प्रियजनों को इसकी तस्वीर भेजने लगे। लगभग एक घंटे तक चले इस नजारे के बाद लोग तरह तरह की चर्चा भी करने लगे हैं।

https://youtu.be/C7N_J3zFRL4

मौसम वैज्ञानिकों से मिली जानकारी के अनुसार …

..दरअसल आकाश में बादलों में आइस क्रिस्टल होते हैं जो कई बार चांद की रोशनी से टकराते हैं। इससे रोशनी प्रतिबिम्बित होती है और इस तरह का घेरा बनता हुआ दिखता है। … इसे कुछ लोग मून रिंग या विंटर हैलो के अलावा निम्बस या आइसबो भी कहते हैं। कई बार यह सूर्य के भी चारों तरफ घेरा बनता है और ऐसी स्थिति में इसे सोलर हैलो कहते हैं।

पूरी जानकारी मिल गई…

सोमवार को सुबह करीब 10 बजे सूर्य के चारों तरफ घेरा जैसा नजारा दिखा। इसे सूर्य का वलय बताया जा रहा है। जानकारों ने बताया कि आसमान में जब बादल डेरा बनाते हैं और ये अगर अंतरिक्ष की ऊपरी परत पर चले जाते हैं तो सूर्य की रोशनी इससे टकराकर लौटती है। इस रिफ्लेक्शन से सूर्य के चारों तरफ वलय का आभास होता है। अगर इस प्रकार की स्थिति सुबह या शाम में बने तो हमें इंद्रधनुष नजर आता है। सुबह के समय में आसमान की ऊपरी परत में बादल जमने पर पूर्व की दिशा में और शाम के समय में पश्चिम की दिशा में इंद्रधनुष बनता दिखता है। सूर्य के चारों तरफ वलय की स्थिति सुबह 10 बजे के बाद और शाम में तीन बजे तक तेज धूप रहने की स्थिति में दिखती है।

ऐसा तब होता है जब सूर्य की किरणें अपवर्तित होती हैं

सोमवार को 10:00 से 10:30 बजे के बीच यह घटना दिखी। सूर्य के चारों ओर लाल और नीला वलय दिखा। खगोल विज्ञान में इसे ‘22 डिग्री सर्कुलर हलो’ कहते हैं। ऐसा तब होता है जब सूर्य या चंद्रमा की किरणें बादलों में मौजूद षट्कोणीय बर्फ क्रिस्टलों से अपवर्तित हो जाती हैं। इस घटना को सूर्य या कुछ मौकों पर चंद्रमा का ‘22 डिग्री सर्कुलर हलो’ कहा जाता है। बताया जाता है इस तरह के बादल तब बनते हैं, जब पृथ्वी की सतह से 5 से 10 किमी उंचाई पर जलवाष्प बर्फ के क्रिस्टलों में जम जाती है।

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