रांची : ये छठी JPSC परीक्षा के जिन्न को फिर किसने निकाला बाहर !

रांची : ये छठी JPSC परीक्षा के जिन्न को फिर किसने निकाला बाहर !

  • फिर सुर्खियों में छठवीं जेपीएससी रिजल्ट का मामला
  • विधानसभा में उठाऊंगी जेपीएससी मामलाः सीता सोरेन
  • बीजेपी ने कसा तंज- सवाल से असहज होगी सरकार

छठी जेपीएससी परीक्षा का मामला शुरू से ही विवादित रहा है। मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक सीता सोरेन के बयान के बाद सूबे की राजनीति में उबाल आ गया है। उन्होंने कहा है कि जेपीएससी का मामला विधानसभा में गूंजेगा। बयान पर बीजेपी ने जहां चुटकी ली वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सधा हुआ बयान दिया।

छठी जेपीएससी परीक्षा मामला फिर एक बार चर्चा में है। दरअसल झामुमो की विधायक सीता सोरेन ने मामले को विधानसभा सत्र के दौरान उठाने की बात कही है। बता दें कि साल 2016 की छठी जेपीएससी परीक्षा का लंबे इंतजार यानी 4 साल के बाद परिणाम साल 2020 में आया।

विवादों से घिरे और अदालती चक्कर लगाने के बाद जेपीएससी ने परिणाम घोषित किये। नई सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा छठी जेपीएससी 2016 में सफल अभ्यर्थियों की अनुशंसा को मंजूरी दी और राज्य को नये 325 नये अधिकारी मिले।

एक बार फिर छठी जेपीएससी का मामला गरमा रहा है। जामा विधायक सीता सोरेन के छठी जेपीएससी परिणाम पर सवाल उठाए और सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा है कि झारखंड में छठवीं जेपीएससी में भारी गड़बड़ी हुई है। अधिकारी और नेताओं के पुत्र और पुत्री पैरवी के माध्यम से अधिकारी बने हैं।

विधायक सीता सोरेन ने कहा है कि झारखंड के स्थानीय युवाओं का हक मारा गया है। वहीं अपनी ही विधायक सीता सोरेन के बयान से घेरे में आई झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सधा हुआ बयान दिया है।

झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि सरकार का फैसला लोगों के हित में है, अगर मामला विधानसभा में उठेगा तो उसका जवाब देने को तैयार हैं।

वहीं इस मामले में बीजेपी ने सत्तापक्ष पर चुटकी ली है। प्रदीप यादव ने कहा कि सत्ता पक्ष के विधायक ही सवाल खड़ा कर रहे हैं तो सरकार जरूर असहज महसूस कर रही होगी। उन्होंने कहा कि हरहाल में सरकार को सफ़ल अभ्यर्थियों का ख्याल रखना चाहिए।

बता दें कि छठी जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा का तीन बार रिजल्ट निकालना पड़ा। साल 2020 में परिणाम आने के बाद फरवरी-मार्च में इंटरव्यू की प्रक्रिया हुई और अप्रैल में फाइनल रिजल्ट आया।

परीक्षा शुरू होने से लेकर अंतिम रिजल्ट आने तक विवादों में ही रही। क्वालीफाइंग पेपर, उचित अंक वाले को उचित सेवा नहीं मिलने का मामला और दूसरे कई मामलों को लेकर अभ्यर्थी झारखंड हाईकोर्ट गये। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जारी है।

फिलहाल ये मामला सीता सोरेन के बयान के बाद फिर गरमा गया है। सत्ता पक्ष की विधायक ही जब सरकार से चुभते हुए सवाल पूछेगी तो स्वाभाविक है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहज महसूस नहीं करेंगे