देवघरः बाबा भोलेनाथ की महिमा अपरम्पार, भक्तों की मनोकामना करते हैं पूरी

देवघर ऐसे तो बाबा भोलेनाथ सब की मनोकामना पूरी करते हैं । कामना मंदिर  से हो या घर से सैदेव  कृपा बनी रहती है। बाबा भोले नाथ मंदिर के श्रृंगी से माता के शीर्ष को जोड़ने का काम परंपरा भंडारी परिवार करता आ रहा है।दोनों ही मंदिर में गठबंधन की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

कोरोना की कहर श्रावणी मेला पर

जहां भक्त लड़का लड़की की शादी नहीं होने और अन्य मनोकामना पूरी होते ही गठबंधन करते हैं। जहां बाबा में मंदिर पुरोहितों की ओर से कपड़े के धागा को संकल्प करते है, जिसको बाबा मंदिर और माता पार्वती मंदिर के शीर्ष पर भंडारी ही बांधते हैं। जिससे भंडारियो को अच्छी खासी दक्षिणा मिल जाती थी। कोरोना महामारी के दौर को लेकर सरकार इस बार श्रावणी मेला नहीं लगाने का निर्णय लिया है। संक्रमण को लेकर पुरोहित से लेकर लघु व्यवसायी बाबा के आस पर निर्भर है।

मुश्किल में कई परिवार

श्रावणी मेला नहीं लगने के कारण बाबा मंदिर के कई परिवार अब मुश्किल दौर में चल रहे हैं। ऐसे में ही एक परिवार है भंडारी जो बाबा भोले और माता पार्वती के शीर्ष पर चढ़ने का हकदार होता है। जो भक्तों की ओर से की गई मनोती गठबंधन को दोनों शीर्ष से जोड़ता है, मगर कोरोना संक्रमण को लेकर सावन मेला नहीं लगने से भंडारियो में मायूसी छा गई है। अब खाने पीने से लेकर बच्चों की पढ़ाई लिखाई तक में उनको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

गठबंधन का धागा बेचने वाले पर कोरोना की कहर

बाबा मंदिर में गठबंधन का धागा बेचने वाले एक पंडा परिवार भी भुखमरी की कगार पर है। यह रोजाना श्रद्धालुओ को गठबंधन का धागा बेचकर अपना जीविकोपार्जन करते थे, मगर श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक के बाद से परेशान हैं। अब उम्मीद बाबा भोले से लगाये बैठे हैं कि कोरोना जल्द समाप्त हो ताकि फिर से जीवन का पहिया पटरी पर लौट सके।

बाबा मंदिर के पुरोहित कई अनुष्ठान करते हैं, जिसमे गठबंधन भी एक अनुष्ठान है। इसमे भंडारी पुरोहित और गठबंधन के धागा बेचने वाले कल्याणकारी गठबंधन की परंपरा निभाते हैं। बाबा बैद्यनाथ को मनोकामना लिंग भी कहा जाता है और यहां की गई हर मनोतियां पूरी होती हैं। जिस कन्या और वर की शादी में बाधा होती है। वह बाबा भोले से मनोती करते हैं और पूरी होते ही गठबंधन करते है।