संविधान की मूल प्रति  गिरिडीह पुस्तकालय में , देश के चार स्थानो में है मूल प्रति

गिरिडीह।  भारतीय संविधान की मूल प्रति केंद्रीय पुस्तकालय गिरिडीह में सुरक्षित है। 231 पृष्ठों वाली इस प्रति में देश के तमाम राजनेता के हस्ताक्षर मौजूद है। लेकिन विडंबना यह है कि जागरूकता के अभाव में संविधान का मूल प्रति अलमीरा में बंद पड़ी रहती है। हांलाकि पुस्तकालय के केयरटेकर समय समय पर इसे लोगो को दिखाते रहते है पर ऐतिहासिक धरोहर के प्रति जिला प्रशासन ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई है। आपको बता दे कि सेंट्रल लाइब्रेरी में यह प्रति वर्षो से मौजूद है। हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इसे लाइब्रेरी में आने वाले लोगों के अवलोकनार्थ रखा जाता है। सामान्य तौर पर यह अलमारी में सुरक्षित रहती है। इस बारे में लाइब्रेरियन विनोद अग्रवाल कहते है, शहर के लिए यह धरोहर खास है।

26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ था। लिखित रूप में इस संविधान को बनाने में देश के कई नेताओं का योगदान था। इस संविधान की एक मूल प्रति गिरिडीह की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है।  संविधान की यह मूल प्रति इतिहास की धरोहर होने के साथ-साथ अमूल्य है। इस कृति में भारत के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद के साथ प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के हस्ताक्षर प्रमुख रूप से हैं। संविधान की इस प्रति में उन सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हैं, जो संविधान समिति में थे। इनमें संविधान ड्राफ्ट कमेटी के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर, संविधान निर्माण समिति के अस्थायी अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा के साथ ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, कन्हैया लाल मुंशी, सी राजगोपालाचारी, सरोजनी नायडू, बिजयलक्ष्मी पंडित, दुर्गाबाई देशमुख आदि के नाम शामिल हैं। सुनहरे पन्नों वाली इस प्रति में 255 आर्टिकल्स को लिथोग्राफी में उतारा गया है। मूल प्रति का डिजाइन शांति निकेतन के कलाकार राममनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस ने तैयार किया था।

इधर गिरिडीह उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने इस बाबत कहा कि सौभाग्य की बात है कि संविधान की मूल प्रति हमारे गिरीडीह में मौजूद है। अच्छे तरीके से प्रदर्शनी गैलरी बनाकर लोग यहां आए और इसका अवलोकन कर पाएं। इसकी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।