ऑनलाइन पढ़ाई का ढकोसला……

ऑनलाइन शिक्षा बच्चों के आँखों को प्रभवित कर सकती है ?

Covid19 की वजह से आज पूरी दुनिया परेशान है क्यूंकि सिर्फ भारत ही नहीं 188 से भी ज्यादा मुल्कों में कोरोना ने आम जन-जीवन को तहस नहस कर दिया है दुनिया में मानो अघोषित कर्फ्यू लागु है। और इंसान का जीना दूभर हो गया है एक ओर जहाँ अभिभावको के कार्यालय बंद होने की वजह से दिन रात घर पर ही पड़े हैं

सब कुछ, बंद-बंद

तो वही दूसरी ओर स्टूडेंट्स भी अपनी सारी गतिविधियां भूलते जा रहे है स्कूल बंद, कॉलेज बंद है पुरे देश में बच्चों का नया सेशन शुरू होना था। बच्चो की एडमिशन होनी थीं। पर सब कुछ, बंद-बंद कोई नहीं जनता की आगे क्या होने वाला है। केंद्र और राज्य सरकारों ने तो फरमान जारी कर दिया,

सरकार का रोड मैप क्लियर कट है ?

पर क्या ? सरकार का रोड मैप क्लियर कट है ? क्या सरकार ने अभिभावक और बच्चों के भविष्य को देखते हुए गाइडलाइन जारी किया है ? अगर हाँ तो, इस पर अमल कौन करवाएगा ? क्यूंकि लगभग सभी प्राइवेट स्कूलो ने ऑनलाइन सेवा की बात की है साल भर में लाखों करोड़ों की कमाई करने वाले स्कूलों ने फरमान जारी किया कि ऑनलाइन फी और एडमिशन हो सकता है महामारी और मंदी की मार झेल रहे लोगोँ ने कैसे भी कर के मोटी रकम ऑनलाइन जमा तो करवा दिया, और अब स्कूल वाले दिखावा करने के लिए ऑनलाइन स्टडी के नाम पर मंथली फी लेने की तयारी कर रहें है और साथ ही साथ ऑनलाइन पढ़ाई का ढकोसला भी, क्या ? मात्र ऑनलाइन के नाम पर खानापूर्ति हो जाएगी, क्या ? स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों के घर में एन्ड्रियड मोबाइल और कंप्यूटर के साथ इंटरनेट कनेक्शन है। .. इन सभी बातो का इल्म स्कूल प्रबन्धन.और सरकार को है। अगर हाँ तो इसपर क्या किया गया आज तक, परिवार में दो वक़्त की रोटी का तो ठीक से इंतज़ाम तो है नहीं , फिर ऑनलाइन की बात कोई कैसे सोंच सकता है

बच्चो में घंटो कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी के इस्तेमाल के साइड इफेक्ट्स

लगभग पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत में भी सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं और बच्चों को ऑनलाइन पढ़ने पर जोर दिया जा रहा है यानि घंटो कंप्यूटर और मोबाइल के सामने। सूत्रों की माने विकसित देशों में स्कूल और विश्वविद्यालय को दिसंबर तक के लिए बंद कर दिया है । अब रही बात यहाँ बच्चों की ऑनलाइन पढाई की । क्या ये इतनी जरुरी पढ़ाई है की बच्चों के स्वास्थ को दाव पर लगा दें। हमलोग लगातार अगर मोबाइल या कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आँखों में दर्द और सर भारी होने लगता है। अक्सर हमलोग जब बच्चों को किसी आंख के परेशानी के चलते आंख के डॉक्टर के पास ले जाते हैं तो उनका पहला प्रश्न होता है की मोबाइल कितना देखते हो। मत देखा करो ज्यादा, यही डॉक्टर की राय होती है। बच्चे अपने मनोरंजन चीज देखने के साथ अब पढाई भी कर रहे हैं कंप्यूटर में यानि 8 से 10 घंटे रेडिएशन और तेज़ रौशनी के सामने। यानि आँख का रेटिना उतना ही प्रभावित होगा। सर दर्द, गर्दन दर्द और अनिद्रा अलग से। आंखों का एकटक मोबाइल फोन या कंप्यूटर स्क्रीन पर टिके रहना, उसकी सेहत को डैमेज कर सकती है। आंखों को ड्राई करेगी और इससे आंखों में खुजली और जलन होगी। कम उम्र में ही चश्मा लग जायेगा। अगर किसी के घर में दो से ज्यादा बच्चे हैं तो सबके लिए अलग से मोबाइल या फिर कंप्यूटर और नेट का खर्चा अलग। जिनके पास छमता है अमीरो की बात छोड़िये वो तो अपने बच्चो को अलग अलग मोबाइल दे देंगे लेकिन जो गरीब हैं उनका क्या ?

बच्चे की सेहत से खिलवाड़

यानि सेहत से खिलवाड़ के साथ साथ ऊपर का खर्चा अलग से । Covid 19 के इस विपदा में बच्चे अगर तीन चार महीने न भी पढ़े तो क्या भारत विश्व में पिछड़ जायेगा या फिर बच्चे अनपढ़ रह जायेंगे। कॉलेज के दिनों में हमलोगों को कहा जाता था की टीवी दूर से देखो और ज्यादा मत देखो नहीं तो आँखें ख़राब हो जाएंगी । अब तो स्कूल प्रशासन ही बच्चों को बढ़ावा दे रहा है कि ज्यादा से ज्यादा मोबाइल के रेडिएशन में रहो। शिक्षक भी उतने ही प्रभावित होंगे। ज्यादा बेहतर ये होता की स्कूल के पाठ्यक्रम थोड़ा बदलाव लाके उसको थोड़ा कम करके लॉक डाउन के बाद बच्चों को पढ़ाया जाता। वैसे अब देखना है की सरकार और स्कूल मैनेजमेंट क्या फैसला लेती है

सबरंग समाचार की आप से अपील

कोरोना का कोई इलाज नहीं इसलिए घर में रहें सुरक्षित रहें सोशल डिस्टेंसिंग बना कर रहे

 ख़ुद का बचाव ही दूसरों का बचाव है
 सोशल डिस्टेंसिंग का करें अनुपालन
 कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा घटायें
 हाथों को साबुन से धोना रखें याद
 खांसी बुखार या सांस लेने में तकलीफ हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें
 ध्यान रखें, लापरवाही न करें।