मोदी ने किया नए संसद भवन का उद्घाटन, विपक्ष ने किया विरोध-प्रदर्शन !
- By rakesh --
- 28 May 2023 --
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,राष्ट्रपति को संसद भवन के उद्घाटन में आमंत्रित नहीं करने के विरोध में, एवम संविधान की रक्षा के लिए वाम दलों, सामाजिक संगठनों, प्रगतिशील लेखकों , पत्रकारों , आदिवासी संगठनों ने आज अल्बर्ट एक्का चौक रांची में विरोध के तहत काला दिवस के रूप में मनाया।
* नरेंद्र मोदी के हाथों लोकतंत्र और संविधान सुरक्षित नहीं , महेंद्र पाठक।
* दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत का संविधान आज खतरे में, प्रो रवि भूषण ।
रांची अल्बर्ट एक्का चौक रांची में सुबह 9 बजे भाकपा, माकपा ,भाकपा माले, मासस, प्रगतिशील लेखक संघ, आदिवासी संघ, एसटी एससी मोर्चा, पत्रकार संघ, अखिल भारतीय महिला समाज, श्रमिक संगठनों सहित कई संगठनों के सैकड़ों लोगों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के विरोध में देश के महामहिम राष्ट्रपति के सम्मान में संविधान सम्मत कार्रवाई के लिए तानाशाह प्रधानमंत्री के विरोध में काला बिल्ला लगाकर हाथों में तख्तियां लेकर काला दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव महेंद्र पाठक, अजय कुमार सिंह, माकपा ,भाकपा माले राज्य सचिव मनोज भट्ट ,सामाजिक कार्यकर्ता बलराम जी प्रलेश रनेंद्र जी, प्रभाकर तिर्की ,दयामणि बरला, रवि भूषण, रवि कुमार,सहित कई लोगों ने संबोधित किया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव महेंद्र पाठक ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में एक नया काला अध्याय जुड़ गया, क्योंकि देश में नए संसद भवन के उद्घाटन के कार्यक्रम में महामहिम देश के आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू को नहीं आमंत्रित कर अपनी तानाशाही का परिचय देते हुए प्रधानमंत्री ने संविधान की धज्जियां उड़ाई , संवैधानिक तौर पर संसद भवन राष्ट्रपति के अनुमति से खुलता है। उनके अभिभाषण से ही संसद सत्र की शुरुआत होता है।उन्हीं की अनुमति से संसद के कार्य चलता है ,संसद के अंदर जो भी बिल पास होते हैं, वह भी राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से ही कानून का रूप लेता है और देश में लागू होता है। ऐसे मौके पर राष्ट्रपति को उद्घाटन मैं नहीं बुलाकर स्वयं उद्घाटन करने के लिए तैयार प्रधानमंत्री ने संविधान की धज्जियां उड़ाई , इसके विरोध में देश की 19 राजनीतिक पार्टियां 253 सांसदों ने उद्घाटन का बहिष्कार किया। उसी की आलोक में आज रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर तमाम लोगों ने काला बिल्ला लगाकर हाथों में तख्तियां लेकर संविधान की रक्षा के लिए आज काला दिवस मनाया। हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजेंद्र रविदास के द्वारा संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर लोगों संविधान के पाठ पढ़ाया गया और संविधान की रक्षा के लिए संकल्प लिया गया प्रगतिशील लेखक संघ के रणेंद्र जीने लोगों को संबोधित करते हुए कहा की दुनिया में सबसे बड़ा सेकुलर सभी धर्मों के लेकर सभी वर्ग के लोगों को एक सूत्र में बांधकर सभी को समान अधिकार देकर चलने वाला संविधान आज खतरे में है। देश में लगातार संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। लोकतंत्र को मजाक बनाकर चलने वाली सरकार संविधान को किनारे कर रखा है ।मनमानी तरीके से न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका पर लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया है ।आज के दिन काला दिन के रूप में देखा जा रहा है। संवैधानिक मूल्यों को अवहेलना कर देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति को किनारे कर मनमानी तरीके से संसद भवन का उद्घाटन कर देश में एक गलत संदेश देने के काम देश के प्रधानमंत्री किया , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद सदस्य जिला सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि देश के राष्ट्रपति का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान ,हिंदुस्तान के लोकतंत्र और संविधान के बचाने के लिए हम तमाम संगठनों के लोगों ने आज काला दिन मनाया है । आने वाले दिनों में हम लगातार सड़कों पर आंदोलनों के माध्यम से विरोध करते रहेंगे ,काला दिवस के मौके पर उपस्थित उपरोक्त नेताओं ने कहा कि देश में संविधान की रक्षा के लिए हम सभी एकजुट हैं ।देश के प्रधानमंत्री आर एस एस के इसारे पर कार्य कर रहे हैं। पिछले दिन भी संसद के शिलान्यास के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नहीं बुलाया। क्योंकि वह दलित से थे आज संघ ने संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति को नहीं बुलाया, क्योंकि वह आदिवासी वोट की राजनीति के लिए आदिवासी दलित पिछड़े लोगों को इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कारपोरेट के इशारे पर आर एस एस के झंडा चलाने वाली सरकार देश को नुकसान पहुंचाने में लगी हुई है। देश के संविधान को छेड़छाड़ करने की भी कोशिश यह सरकार कर रही है ।उनके विरोध में हम तमाम लोग आज काला दिन मना रहे हैं ।आज कार्यक्रम में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव महेंद्र पाठक, जिला सचिव अजय कुमार सिंह ,इम्तियाज खान, धर्मवीर सिंह, इसहाक अंसारी, फरजाना फारुकी, प्रलेश के रणेंद्र पंकज मित्र भुवनेश्वर केवट ,एसके राय ,आनंदिता, प्रगतिशील लेखक संघ के रमेंद्रऔर रवि भूषण, रवि, सच्चिदानंद मिश्रा, जनार्दन प्रसाद ,किरण कुमारी ,सुरेंद्र कुमार दीक्षित, नीरज कुमार सिंह, सज्जाद अंसारी, कृष्ण कुमार वर्मा, हसीब अंसारी, फिरोज अंसारी, राजेंद्र रविदास, एके रसीदी ,शुभेंदु सेन शहाबुद्दीन अंसारी, संजय पासवान सहित कई लोग मौजूद थे।