प्राचीन मेगालिथ स्मारक का होगा काया कल्प, दो पत्थरों से बीच से उगता है सूरज !

हजारीबाग। झारखंड को प्रकृति को ईश्वर ने कुछ ऐसा वरदान दिया है, जो अपने आप में अनोखा है। ऐसा ही एक उदाहरण हजारीबाग के बड़कागाव में देखने को मिलता है। यहां प्राचीन मेगालिथ स्मारक मौजूद है, जो इतिहास और विज्ञान को सार्थक बनाता है। दरअसल इस मेगालिथ स्मारक के पास दो अनमोल पत्थर हैं, जहां से साल में एक बार सूर्य इन दोनों पत्थरों के बीच से ही उगता नजर आता है। जानकारी के अनुसार यहां साल में दो बार 20 या 21 मार्च को और 23 या 23 सितंबर को इक्वीनोक्स का सूरज उगता हुआ नजर आता है। इस सम दिन और रात का समय एक हो जाता है। यह शानदार लम्हा हर किसी के लिए यादगार बन जाता है। इस अनोखे रहश्य को लेकर इतिहासकार और वैज्ञानिक तो रिसर्च करते रहे हैं, लेकिन अब इस मेगालिथ स्मारक की तस्वीर बदलने की पहल की गई है।

यहां खड़े दो अनमोल पत्थरों को राज्य का कोहिनूर बनाया जायेगा। यह पत्थर अंग्रेजी के V  आकार सा दिखता है। मेगालिथ स्मारक को संवारने, निखारने और सुंदर बनाने की जिम्मेदारी मिली है NTPC के पकरी बरवाडीह परियोजना को। NTPC मेगालिथ पार्क को बनाने में करीब 3 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसकी पहली किस्त 50 लाख रुपये का चेक हजारीबाग के उपायुक्त नैंसी सहाय को दिया गया। यह चेक परियोजना के GM नीरज जलोटा ने दिया। इस राशि से इसे जहां पर्यटन के लिए तैयार किया जाएगा, साथ ही साथ इस तरह के धरोहर को बचाने की भी पहल की जाएगी।

करीब 3000 साल पुराने इस प्राचीन सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल मेगालिथ  बड़कागांव NTPC कोल परियोजना के तहत आता है। इस ऐतिहासिक स्थल को मेगालिथ पार्क के नाम से एक रमणीक स्थल बनाने की जिम्मेवारी NTPC पकरी बरवाडीह परियोजना ने ली है।