झारखंड सरकार का बड़ा फैसला, रिम्स में अब ब्रेन डेथ की हो सकती है घोषणा !

 

रांची। झारखंड सरकार ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक बड़ा फैसला करते हुए ब्रेन डेथ के प्रस्ताव के लिए टीम गठित करने का अनुमोदन दे दिया है। रांची के रिम्स में इसकी सेवा उपलब्ध होगी। इस फैसले के बाद से रिम्स राज्य का पहला अस्पताल बन गया है, जहां ब्रेन डेथ की घोषणा की जा सकेगी।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन अनुमति मिलने के बाद अब विशेषज्ञों की टीम का गठन किया जा सकेगा। रिम्स के मेडिकल डायरेक्टर इस बोर्ड के पदेन अध्यक्ष होंगे। ब्रेन डेथ घोषणा के बाद संभावित अंगदाता की पहचान हो पायेगी। जिससे अंगदान के माध्यम से अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा दिया जा सकेगा।

मिली जानकारी के अनुसार ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एंड टिश्यू एक्ट 1994 की धारा-3 की उपधारा-6 के अंतर्गत मेडिकल बोर्ड की टीम के द्वारा ब्रेन डेथ घोषित किये जाने का प्रावधान है।

ब्रेन डेथ क्या होता है

जानकार बताते हैं कि ब्रेन स्टेम जीवों के दिमाग का निचला हिस्सा होता है। यह रीढ़ की हड्डी के साथ जुला रहता है। इससे शरीर के महत्वपूर्ण अंग को कंट्रोल किया जाता है।

अगर किसी को चोट लग जाती है या फिर ब्रेन जेथ हो जाता है तो ब्रेन काम करना बंद कर देता है। ऐसे में जब विशेषज्ञ टीम जांच कर जानकारी हांसिल करती है कि आखिर अब ब्रेन वापस फंग्शन में आ सकता है या नहीं। इसकी रिपोर्ट आने के बाद ब्रेन डेथ की घोषणा टीम की तरफ से की जाती है। इसका सीधा मतलब होता है कि व्यक्ति या जीव का महत्वपूर्ण अंग जैसे हार्ट, लीवर, किडनी, सांस की प्रक्रिया वेंडिलेटर के सहारे की जा रही है।

अगर ब्रेन के पुनर्जीवित होने की संभावन खत्म हो जाती है तब, ब्रेन डेथ की घोषणा की जा सकती है।

इसके बाद परिजनों के लिखित रूप से सहमति के बाद उक्त व्यक्ति के जीवित अंग को किसी जरुरतमंद को ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
कई तरह के टेस्ट के बाद होता है फैसला
किसी व्यक्ति को ब्रेन डेथ घोषित करने से पहले कई प्रकार के टेस्ट के आधार पर पुष्टि की जाती है। यह टेस्ट लिस्टेट हैं। जिन्हें 6 घंटे के अंतराल में 4 डाक्टरों के पैनल द्वारा किया जाता है।
 ब्रेन डेथ के बाद करना होता है टेस्ट

  • एपनिया टेस्ट
  • लाइट डालने पर भी पुतलियों का प्रतिक्रिया नही देना
  • दर्द होने पर कोई प्रतिक्रिया न दिखना
  • आंख की सतह को छूने पर आंखों का न झपकना (कॉर्नियल रिफ्लेक्स न होना)
  • कान में बर्फ का पानी डालने पर भी आंखों का न हिलना
  • इइजी परीक्षण में मस्तिष्क की कोई गतिविधि न दिखाना, व अन्य परिक्षण