वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच भारतीय शेयर बाजार धड़ाम..!

नोट- बाजार में लगातार उतार चढ़ाव चल रहा है…..

वैश्विक मंदीकी आशंकाओं के बीच भारतीय शेयर बाजार धड़ाम… बाजार खुलते ही सेंसेक्स लगभग 3000 अंक नीचे गिरा…. सेंसेक्स 4.09 और निफ्टी 3.82 प्रतिशत गिरा…

 

इन 4 वजहों से शेयर बाजार में आई बड़ी गिरावट, चौतरफा बिकवाली से बाजार धराशायी

1. चीन की जवाबी प्रतिक्रिया:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने चीन के निर्यात पर 54 प्रतिशत टैरिफ लगाया। इसके जवाब में बीजिंग ने सभी अमेरिकी आयातों पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया। इसके अलावा, चीन ने सात प्रकार की दुर्लभ पृथ्वी मेटल के निर्यात पर रोक लगा दी है। साथ ही अमेरिकी और भारतीय मेडिकल सीटी एक्स-रे ट्यूबों के खिलाफ एंटी-डंपिंग जांच शुरू की और 16 अमेरिकी कंपनियों पर निर्यात नियंत्रण लगा दिया है।

2. वैश्विक वृद्धि को लेकर चिंताएं:
विश्लेषकों का मानना है कि टैरिफ नीति से अमेरिका में महंगाई में वृद्धि हो सकती है। इससे मांग कमजोर होगी और मंदी का खतरा बढ़ेगा। बर्नस्टीन ने कहा कि टैरिफ्स महत्वपूर्ण हैं और अब लगभग 60 प्रतिशत प्रभावित आयातों पर 20 प्रतिशत से अधिक ड्यूटी लग रही है। इससे औसत भारित टैरिफ 28.3 प्रतिशत हो गया है।

3. सेकटरोल इंडेक्स में गिरावट:
भारत के ऑटोमोबाइल, आईटी, मेटल, फार्मा और एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में वैश्विक व्यापार तनावों की बढ़ती चिंताओं के कारण औसतन 7 प्रतिशत की गिरावट आई। निवेशक भी घबराए हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने फार्मा उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है। भारतीय तेल विपणन कंपनियां (OMCs) भी प्रभावित हुईं। ऐसा इसलिए क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आई है और ब्रेंट क्रूड तेल 2.74 प्रतिशत गिरकर $63.78 प्रति बैरल पर आ गया है।

4. FII बिकवाली:

वैश्विक फंड्स द्वारा भारतीय शेयरों की खरीदारी में रिवाइवल को वैश्विक ट्रेड वॉर तनावों के चरम पर पहुंचने के बाद पलट दिया गया है। विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) पिछले पांच ट्रेडिंग सेशन से नेट सेलर रहे हैं। इससे इस साल ₹1.5 ट्रिलियन का ऑउटफ्लो हो चुका है। इसी दौरान, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने ₹1.93 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदें है।

निवेशक क्या अपनाएं स्ट्रेटजी?

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के टेक्निकल रिसर्च प्रमुख रचित जैन ने कहा, “ऐसी स्थिति में, वैश्विक लेवल पर घटाक्रम शॉर्ट टर्म में बाजार की दिशा तय करेंगे। ऐसे में शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स को फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ की नीति अपनानी चाहिए।”

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि किसी को भी यह अंदाजा नहीं है कि ट्रंप के टैरिफ्स से पैदा हुई यह हलचल कैसा रूप लेगी। इस उथल-पुथल के दौर में वेट एंड वॉच सबसे अच्छा रणनीति होगी।”

उन्होंने कहा कि घरेलू उपभोग से संबंधित सेक्टर्स जैसे फाइनेंशियल, एविएशन, होटल, चुनिंदा ऑटो, सीमेंट, डिफेन्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म कंपनियां इस संकट से उम्मीद से कम प्रभावित हो सकती हैं।