मां से बच्चे में ट्रांस्फर होता है वायरस?

क्या गर्भ के अंदर बच्चे को कोविड19 का संक्रमण हो सकता है?

रांची। पूरी दुनिया के लिए Covid 19 एक अपने तरह का नया वायरस है इसलिए उसे लेकर कई सवालों के जवाब खोजे जा रहे हैं. गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर शोध हुआ तो इसके अलग-अलग तरह के मामले देखने को मिले हैं. किसी मामले में गर्भवती मां को कोरोना का संक्रमण है लेकिन बच्चा पूरी तरह स्वस्थ पैदा हुआ है. किसी मामले में मां स्वस्थ है लेकिन बच्चे को पैदा होने के बाद इंफेक्शन हुआ है.


लेकिन, ऐसे भी मामले हैं जिनमें मां कोविड19 से संक्रमित है और बच्चा भी पैदा होने के कुछ घंटों के अंदर ही वायरस से संक्रमित पाया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बच्चे को मां के गर्भ में ही कोरोना वायरस हो गया था? क्या ऐसा संभव है? इस संबंध में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) का एक अध्ययन में बताया गया है कि गर्भ के अंदर ही मां से बच्चे को कोविड19 का संक्रमण हो सकता है. हालांकि, हर मामले में ऐसा हो ये ज़रूरी नहीं है. पर ऐसा हो सकता है. आईसीएमआर के अध्ययन के मुताबिक इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि इंफेक्शन किस स्तर पर होगा और बच्चे को कितना प्रभावित करेगा.

मां से बच्चे में ट्रांस्फर होता है वायरस

एक मां से बच्चे में कोई वायरस अलग-अलग तरह से ट्रांस्फर हो सकता है. ज़रूरी नहीं कि गर्भ में ही बच्चे को वायरस का संक्रमण हो.
इस टॉपिक पर स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉक्टरो का कहना हैं, “ये एक नई बीमारी है इसलिए इसे लेकर बहुत खुल कर नहीं बोलै जा सकता क्योंकि, अभी अध्ययन और शोध लगातार जारी है, कुछ वायरस ऐसे होते हैं जो गर्भ में ही मां से बच्चे में चले जाते हैं. जैसे अगर मां को मलेरिया है तो बच्चे को भी हो सकता है. एचआईवी में मां से बच्चे में ट्रांसमिशन की आशंका कम होती है.
कुछ वायरस ऐसे भी होते हैं जो बच्चे को तब प्रभावित करते हैं जब वो पैदा हो रहा होता है. पैदा होने के बाद बच्चा मां के करीब रहता है तब भी कोई वायरस पकड़ सकता है. ये संभावना हर मां और बच्चे के साथ बदल सकती है.”

आईसीएमआर :- कोरोना से गर्भवती महिलाओं का ख़तरा

आईसीएमआर के मुताबिक गर्भधारण के दौरान मां की प्रतिरोधक क्षमता कुछ कम हो जाती है. तब मां किसी भी वायरस से जल्दी संक्रमित हो सकती है. पहले से मौजूद वायरस के मामले में तो ये बात साबित हो चुकी है. संभावना है कि कोविड19 का भी गर्भधारण में ऐसा असर हो सकता है.
डॉक्टरो की माने तो गर्भ में पल रहा बच्चा, मां और पिता से बना हुआ एक नया अंश होता है और सामान्य प्रतिरोधक क्षमता होने पर शरीर इस बच्चे के ही ख़िलाफ़ काम कर सकता है, ऐसा न हो इसीलिए गर्भावस्था के दौरान प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.”
आईसीएमआर के मुताबिक कोरोना वायरस के दौरान समय से पहले डिलीवरी के मामले भी बढ़े हैं लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि ऐसा कोविड19 के कारण हुआ है. इस पर शोध किया जा रहा है.
हालांकि, इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि कोविड19 के कारण समय से पहले डिलीवरी या गर्भपात, या किसी अन्य तरह की दिक्कते आ रही हैं.

कैसे करें बचाव

गर्भधारण के दौरान मां और बच्चे की कोविड19 से सुरक्षा कैसे की जा सकती है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि गर्भ के अंदर बच्चे को संक्रमण से बचाना है तो सबसे पहले मां को संक्रमण से बचाना होगा. इसके लिए भी वही सावधानियां बरतने की ज़रूरत है जो सभी के लिए बताई गई हैं-
मास्क पहनना, हाथ साफ रखना, सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखना, हाथ ना मिलाना,
जिन्हें किसी भी तरह का इंफेक्शन है या कोविड19 होने की संभावना है तो उनसे दूरी बनाए रखना.
गर्भधारण के दौरान इन सभी बातों का ज़्यादा सख्ती से ध्यान रखे जाने की ज़रूरत है.
अगर मां को प्रसव से पहले ही कोरोना वायरस है तो ज़रूरी नहीं की बच्चे में भी संक्रमण हो जाए. वो तो बाद में, जांच से ही इसका पता चलेगा । इसलिए कुछ सावधानियां रखकर नवजात को संक्रमण से बचाया जा सकता है.
बच्चे को मां से कुछ समय के लिए दूर रखा जाता है. ताकि बच्चे को मां की सांसों या ड्रॉपलेट्स से किसी तरह का संक्रमण ना हो.

गर्भवती महिलाओं में हल्का संक्रमण

आईसीएमआर के मुताबिक गर्भवती महिलाओं में कोविड19 संक्रमण के अभी तक आए मामलों में पाया गया है कि संक्रमण हल्का था और वो तेज़ी से ठीक भी हुई हैं.
28 हफ्ते के बाद जोखिम और ज़्यादा होता है. इस समय पर इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है और
उस वक़्त ज़्यादा सावधानी की ज़रूरत होती है.
हृदय रोग से पीड़ित महिलाओं को हो सकता है ज़्यादा ख़तरा।

मां का दूध पिलाया जा सकता है?

मां का दूध नवजात के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इसे एक तरह से संपूर्ण आहार है. कई महीनों तक बच्चा मां के दूध से ही अपना पेट भरता है.
मां के दूध पर कोविड19 के असर को लेकर भी आईसीएमआर में अध्ययन किया गया है. इसके मुताबिक मां के दूध में कोविड19 नहीं पाया गया है. ऐसे में बच्चे को मां का दूध पिलाया जा सकता है.
हालांकि, अगर वायरस के ख़तरे के चलते बच्चे को अस्थायी तौर पर मां से अलग रखा जाता है और दूध पिलाया जाता है तो इस संबंध में कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं.
मां और बच्चे को अस्थायी तौर पर अलग रखने के ख़तरे और फायदे को लेकर मां के साथ बातचीत करें.
जब तक जांच नहीं हो जाती नवजात को एक अलग कमरे में रखा जाए.
मां अगर बच्चे को दूध पिलाना चाहती है तो एक सैनिटाइज ब्रेस्ट पंप की मदद से दूध निकालकर पिलाया जाए.
अगर मां खुद बच्चे को दूध पिलाना चाहती है तो हर बार दूध पिलाने से पहले मां मास्क पहने और हाथ की सफाई करे.
बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत नई होती है. वो किसी भी तरह की बीमारी को नहीं पहचानता है. इसलिए बच्चे को वैक्सीन दी जाती है ताकि इसकी बीमारी का हमला होने पर बच्चे का शरीर उसे पहचानकर बचाव कर सके.

आईसीएमआर का प्रसव से संबंधित दिशानिर्देश

कोरोना वायरस महामारी ने महिलाओं में प्रसव को लेकर चिंता और अवसाद का ख़तरा बढ़ा दिया है. ऐसे
कोई पुष्टि नहीं हुई है आईसीएमआर के मुताबिक अभी तक के शोध में इन बातों की पुष्टि नहीं हुई है.
कि कोविड19 के कारण गर्भपात या गर्भ को किसी अन्य तरह का नुक़सान हो सकता है.
इस बात के प्रमाण नहीं हैं कि बच्चे में कोविड19 के कारण जन्म से ही कोई विकृति हो सकती है.
अभी तक इसके भी संकेत नहीं मिले हैं कि कोविड19 के कारण गर्भपात की ज़रूरत हो.
इसके अलावा आईसीएमआर ने प्रसव से संबंधित दिशानिर्देश भी जारी किए हैं. जैसे कि ऐसे मामलों के लिए अस्पताल में कैसी सुविधाएं होनी चाहिए और मेडिकल स्टाफ को क्या सावधानियां रखनी चाहिए.
गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चे में कोरोना वायरस के ख़तरे को देखते हुए उनके टेस्ट को लेकर भी आईसीएमआर ने एक आदेश जारी किया है.
इसके मुताबिक हॉटस्पॉट्स वाले इलाक़ों में रह रहीं जिन गर्भवती महिलाओं का प्रसव होने वाला है उनका कोविड19 के लिए टेस्ट किया जाएगा. भले ही उनमें कोरोना वायरस के लक्षण नज़र ना आ रहे हों या नहीं , सुरक्षा के मद्देनज़र ये ज़रूरी हैं