पूरी दुनिया नतमस्तक, ‘कोरोना के सामने’

पूल टेस्टिंग और रैपिड टेस्टिंग के ज़रिए कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का पता लगाया जा रहा

Covid 19 के आगे पूरी दुनिया नतमस्तक होने पर मजबूर है चीन से उभरे इस पेंडेमिक ने अबतक लगभग 42 लाख लोगों को संक्रमित कर लगभग दो लाख 87 हज़ार लोगों को काल के गाल में समा दिया है अगर अपने देश भारत की बात करे तो यहाँ भी कोरोना ने अपना पैर पसरना शुरू करते हुए अबतक 20 हज़ार 500 लोगों को संक्रमण ने अपनी गिरफ्त में 71339 ले लिया है और मरने वालों की संख्या 2310 हो गई है.
देश में सबसे ज्यादा मामले मुंबई और दिल्ली में थे पर गुजरात ने दिल्ली को पीछे छोड़ते हुए देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है सबसे ज़्यादा हालत ख़राब है. दिल्ली में हॉटस्पॉट की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
लॉकडाउन-3 का आखरी सप्ताह जारी हैं लेकिन संक्रमण के मामले दिन प्रति दिन बढ़ते ही जा रहे हैं. हालांकि, इस बीच कुछ राज्यों से अच्छी ख़बरें भी आई हैं. जनसंख्या के हिसाब से टेस्टिंग का प्रतिशत कम होने की वजह से मरीज़ो की संख्या का सही आंकलन नहीं हो पा रहा। वैसे कोरोना वायरस के मरीज़ों का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए सरकार ने पहले के मुकाबले टेस्टिंग बढ़ा दी है.
अब संदिग्ध इलाक़ों में पूल टेस्टिंग और रैपिड टेस्टिंग के ज़रिए कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का पता लगाया जा रहा है.

ICMR ने पूल टेस्टिंग के लिए अनुमति दी है.

आईसीएमआर ने अपनी एडवाइजरी में लिखा है कि जिस तरह से कोविड19 के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में टेस्टिंग बढ़ाना बहुत ज़रूरी है क्यूंकि विकसित देशो के मुकाबले भारत की टेस्टिंग प्रतिशत कम है। वैसे देश में पॉजिटिव मामले आने की दर कम है इसलिए इसमें पूल टेस्टिंग से मदद मिल सकती है.

कैसे होती है पूल टेस्टिंग?

पूल टेस्टिंग मतलब एक से ज़्यादा सैंपल को एक साथ लेकर टेस्ट करना और संक्रमण का पता लगाना.
इसका इस्तेमाल कम संक्रमण वाले इलाक़ों में ज्यादा कारगर होता है. जहां संक्रमण के ज़्यादा मामले हैं वहां पर अलग-अलग जांच ही की जाती है.
आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के मुताबिक़ तीन से पांच लोगों की एक साथ पूल टेस्टिंग की जा सकती है.
पूल टेस्टिंग के लिए पहले लोगों के गले या नाक से स्वैब का सैंपल लिया जाता है. फिर उसकी टेस्टिंग के ज़रिए कोविड19 की मौजूदगी का पता लगाया जाता है.
पीजीआईएमएस रोहतक में बायोलॉजी लैब के इंचार्ज डॉक्टर परमजीत गिल पूल टेस्टिंग के लिए तीन सैंपल का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे नतीजे अच्छे और पुख्ता आ रहे हैं.
ज़्यादा सैंपल लेने से वायरस का पकड़ में आना थोड़ा मुश्किल होता है. हालांकि, आईसीएमआर ने पांच सैंपल लेने की भी अनुमति दी है और इसके लिए सभी सैंपल समान मात्रा में इस्तेमाल होंगे.
डॉक्टर परमजीत गिल बताते हैं, “तीन लोगों के सैंपल लेने के बाद उन्हें मिलाया जाता है. उनसे पहले आरएनए निकाला जाता है. फिर रियल टाइम पीसीआर टेस्ट किया जाता है. इसमें पहले स्क्रीनिंग होती है. स्क्रीनिंग ई-जीन का पता लगाने के लिए की जाती है. ई-जीन से कोरोना वायरस के कॉमन जीन का पता लगता है.”
“कोरोना वायरस की एक पूरी फैमिली है जिसमें कई तरह के कोरोना वायरस है. इन्हीं में से एक वायरस है Covid19. इनका एक कॉमन ई-जीन होता है. अगर टेस्ट में ये ई-जीन पॉजिटिव आता है तो हमें पता लग जाता है कि इस सैंपल में किसी न किसी तरह का कोरोना वायरस मौजूद है लेकिन ये Covid19. ही है ये कह नहीं सकते. इसके लिए अगला टेस्ट करना होता है. इसके बाद सिर्फ़ Covid19 का पता लगाने के लिए टेस्ट किया जाता है.”
अगर किसी पूल के नतीजे निगेटिव आते हैं तो इसका मतलब है कि जिन लोगों से उस पूल के लिए सैंपल लिए गए थे उन्हें कोरोना वायरस नहीं है. जिस पूल के नतीजे पॉजिटिव आते हैं उसमें मौजूद सभी सैंपल की फिर से अलग-अलग टेस्टिंग की जाती है.

सबरंग समाचार की आप से अपील

कोरोना का कोई इलाज नहीं इसलिए घर में रहें सुरक्षित रहें सोशल डिस्टेंसिंग बना कर रहे

 

  • ख़ुद का बचाव ही दूसरों का बचाव है
  • सोशल डिस्टेंसिंग का करें अनुपालन
  • कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा घटायें
  • हाथों को साबुन से धोना रखें याद
  • खांसी बुखार या सांस लेने में तकलीफ हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें
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