पांच जून ‘विश्व पर्यावरण दिवस’

परि+आवरण= पर्यावरण

रांची।  पूरी दुनिया में पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, परि और आवरण जिसमें परि का मतलब है हमारे आसपास की चीज़े या यूँ  कह लें कि जो हमारे चारों ओर है। वहीं आवरण का मतलब है जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है।

इंसान और पर्यावरण एक-दूसरे पर निर्भर

पर्यावरण जलवायु, स्वच्छता, प्रदूषण तथा वृक्ष का सभी को मिलाकर ही बनता है, और ये सभी चीजें यानी कि पर्यावरण हमारे रोज़मर्रा की ज़िंदगी से सीधा तालुक रखता है और समय समय पर प्रभावित भी करता है। इंसान और पर्यावरण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। पर्यावरण जैसे जलवायु प्रदूषण या वृक्षों का कम होना मानव शरीर और स्वास्थय पर सीधा असर डालता है। मानव की अच्छी-बूरी आदतें जैसे वृक्षों को सहेजना, जलवायु प्रदूषण रोकना, स्वच्छाता रखना भी पर्यावरण को प्रभावित करती है। मानव की बूरी आदतें जैसे पानी दूषित करना, बर्बाद करना, वृक्षों की अत्यधिक मात्रा में कटाई करना आदि पर्यावरण को बूरी तरह से प्रभावित करती है। जिसका नतीजा बाद में मानव को प्राकर्तिक आपदाओं का सामना करके भुगतना ही पड़ता है।

5 जून 1972 में शुरुआत

संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिवस पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर जागरूकता लाने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन से हुई थी । 5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।

पर्यावरण सभी का

पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधों के अलावा उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएं और प्रक्रियाएं भी शामिल हैं। जबकि पर्यावरण के अजैविक संघटकों में निर्जीव तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएं आती हैं, जैसे: पर्वत, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि।

 ‘पर्यावरण’ इंसानो से प्रभावित

सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं से मिलकर बनी इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं। इंसानो द्वारा किया जाने वाला काम  पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से ज़रूर प्रभावित करता हैं। इस प्रकार किसी जीव और पर्यावरण के बीच का संबंध भी होता है, जो कि अन्योन्याश्रि‍त है।

पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है

मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला है प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण। यह विभाजन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और दशाओं में मानव हस्तक्षेप की मात्रा की अधिकता और न्यूनता के अनुसार है।

आने वाली नस्लों को क्या जवाब देंगे

पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवन शैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही हैं और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता महत्वपूर्ण है। आज हमें सबसे ज्यादा जरूरत है आज हमने पर्यावरण से इतना खिलवाड़ कर दिया है की   प्रकृति हमसे नाराज़ है और हर तरह की आपदा से हमे दो-चार होना पड़ रहा है  इतनी सारी प्रकृति आपदा के बाद भी अगर हम न समझ पाए, या न सुधर पाए तो आने वाले दिनों में हमारे हाथोँ में कुछ नहीं बचेगा और हम आने वाली नस्लों को क्या जवाब देंगे।