विकलांगता के अभिशाप को बनाया अपनी ताकत,चला रहे हैं प्रज्ञा केंद्र

चतरा। कहते हैं कि हौसले बुलंद हो तो रास्ते में कितनी भी मुश्किलें आए, इंसान अपनी मंजिल पा ही लेता है। ऐसी ही मिसाल पेश की है चतरा के सिमरिया प्रखंड के दिव्यांग प्रकाश ने। जो प्रज्ञा केंद्र में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है। प्रकाश को जन्म से ही दोनों पैरों से विकलांगता का अभिशाप मिला है, लेकिन उन्होंने अभिशाप को अपनी ताकत बना ली। उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष और चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने हाथों को अपना विकल्प बना लिया। काबिलियत ऐसी कि रोजाना स्कूटी चला कर ड्यूटी पर पहुंचते हैं, प्रकाश अपनी मदद के लिए कभी दूसरों के आगे हाथ नहीं फैलाता। अपनी काबिलियत के दम यह दिव्यांग अपना और अपने परिवार का भी भरण पोषण कर रहा है, जो लोगों के लिए एक मिसाल बन चुके हैं।

प्रकाश ने जन्म से ही निशक्त होने के बावजूद भी अपने अटल इरादों की बदौलत ऊंचाइयों को छुआ। अपने शरीर की कमजोरियों और आने वाली चुनौतियों को समझते हुए जिंदगी के हर इम्तिहान में पास होने का संकल्प लिया। उसके बाद संघर्ष करते रहा और कामयाबी उनके कदम चूमती रही। प्रकाश ने बताया कि उन्हें बचपन से ही आभास हो गया था कि वह अकेला कुछ नहीं कर सकते। उसे हर काम के लिए दूसरे का मदद लेना पड़ेगी, बावजूद इसके उसने आत्मनिर्भर बनने का ठान लिया। प्रकाश मन में सोच लिया कि पढ़ाई के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं है। प्रकाश ने पढ़ाई को ही अपना हथियार बनाया और अपने दोनों हाथों को अपना दोस्त बना लिया। उसके बाद उन्होंने अपनी शैक्षणिक जीवन के पहले पड़ाव में स्कूल में एडमिशन लिया तो स्कूल में पढ़ने वाले सहपाठी उसे देखकर हंसते थे, लेकिन सभी की बातों को नजरअंदाज करते हुए उसने पढ़ाई में पुरजोर मेहनत करके 12वीं तक की परीक्षा पास की, फिर कम्प्यूटर भी सीखा। अपने क्षेत्र के बच्चों को भी कंप्यूटर चलाना सिखाया, जिसे लेकर उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया।

 

प्रकाश के पिता बताते हैं कि प्रकाश का झुकाव बचपन से ही पढ़ाई की ओर रहा था। पिता का कहना है कि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, ऐसे में प्रकाश के कमाए हुए पैसे से घर चलता है। वही प्रखंड विकास पदाधिकारी ने प्रकाश की हुनर की तारीफ करते हुए कहा कि समाज के नौजवानों को इस से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने प्रकाश को हर संभव मदद करने की भरोसा दिया।